जन संस्क्रिति मंच की गीत नाट्य इकाई 'हिरावल',पटना के गीतों की रेकोर्डिंग आपको सुनाते हैं.
'हिरावल' के बारे में जो लोग जानते हैं, वे हिरावल द्वारा तैयार गीतों की ताजगी और तेवर के मुरीद हुए बिना नहीं रहते.
'हिरावल' अपने नाटकों और गीतों के माध्यम से बिहार के क्रान्तिकारी संघर्षों में कन्धे से कन्धा मिला कर लड़ने के साथ-साथ नये प्रयोगों के लिये भी जाना जाता है... चलिये कुछ नया- सा सुना जाये...
# 'मुक्तिबोध' की लम्बी कविता 'अन्धेरे में' का एक हिस्सा :
# 'कबीर' की रचना ' हमन है इश्क मस्ताना' :
# 'इंतसाब' जिसे लिखा है 'फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़' ने और जिसे
पहले भी कई व में कई मशहूर कलाकारों ने अपनी आवाज़ दी:
# फ़ैज़ की एक और रचना ' कुत्ते' :
# 'निराला' की एक रचना ' गहन है यह अन्धकारा' :
# समकालीन कवि वीरेन डंगवाल की कविता ' हमारा समाज' :
सभी गीतों में संगीत दिया है संतोष झा ने और गाया है संतोष झा और हिरावल के अन्य साथियों सुमन, समता, राजन, रोहित, बन्टू, विस्मोय और अन्कुर ने.
आगे की पोस्ट में 'हिरावल' के बारे में और जानकारी के साथ आप सुन सकते हैं
** 1857 के गीतों की recordings!!
** हिरावल के नाटक ' दुनिया रोज़ बदलती है' का पूरा video!!
** 'हिरावल' के कई live performances!!
** 'हिरावल' के गाये गये कई पुराने गीत...!!.
** और भी बहुत कुछ... इन्तज़ार करें...!!